पाचंवे दिन पांच महाद्वीप के योगियों ने किया पांच रुद्राक्ष के पौधों का रोपण

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग का व्याकरण सिखाया जाता है ताकि आप जीवन का महाकाव्य स्वयं लिख सकें – स्वामी चिदानंद सरस्वती

ऋषिकेश, 5 मार्च – परमार्थ निकेतन ऋषिकेश, आयुष मंत्रालय – भारत सर्कार, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड, एवं गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 29 वें वार्षिक विश्व विख्यात अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन की कक्षाएं प्रातः 4 बजे से सांय 9:30 बजे तक संचालित हुई । योग महोत्सव में 101 देशों से आये योग प्रतिभागी सहभाग कर रहे है । इस महोत्सव में 70 से अधिक पूज्य संतों, विश्व विख्यात योगाचार्यो एवं योग विशेषज्ञों द्वारा योग विद्या के 150 विभिन्न आयामों का अभ्यास कराया जा रहा है । आज के दिन की शुरुआत कैलिफोर्निया, अमेरिका से आये गुरूशब्द सिंह खालसा के द्वारा कुंडलिनी योग के अभ्यास के साथ हुई ।

बॉलीवुड फ़िल्मी सितारों की योगाचार्य मुम्बई निवासी दीपिका मेहता ने ‘मैसूर मोर्निग योग श्रंखला’ की शुरुआत की । दीपिका विश्व विख्यात योग शिक्षिका, फिटनेस विशेषज्ञ एवं टेलीविजन कलाकार है । प्रातः कालीन अन्य कक्षाएं योगाचार्य परमानन्द अग्रवाल, शिल्प जोशी, योगाचार्य विश्वकेतु एवं योगाचार्य चरणसिंह द्वारा सम्पन्न कराइ गई ।

तत्पश्चात गंगा के तट पर हवाई द्वीप अमेरिका से आई अनंदर जॉर्ज  द्वारा प्रातः कालीन नादयोग साधना का अभ्यास कराया गया । अल्पाहार के पश्चात् अमेरिका के गुरुमुख सिंह खालसा द्वारा कुंडलिनी योग के अभ्यास कराया गया । योग आसन की अन्य कक्षाओं में ऑस्ट्रेलिया के मार्क राबर्ट द्वारा अष्ठांग प्राथमिक श्रंखला, अमेरिका के टौमी रोजेन द्वारा ‘कुंडलिनी एक्सप्रेस’, बैंगलोर के एच एस अरुण द्वारा ‘अयंगर योग’, तथा संदीप देसाई द्वारा ‘ताई ची’ योग का अभ्यास कराया गया । ‘क्वीन आफ सोस’ के नाम से विख्यात ओड़क योग की सह-संस्थापक फ्रांसेस्का केसिया द्वारा ‘सोस के रहस्य’ का अनावरण विषय पर कक्षा सम्पादित की गई ।

दोपहर के सत्र में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशिका साध्वी भगवती सरस्वती एवं विश्व विख्यात वैज्ञानिक ब्रूस लिप्टन ने संयुक्त रूप से ‘स्वस्थ्य, प्रसन्नता एवं सम्पूर्णता युक्त जीवन कैसे जिया गए विषय पर धार्मिक परिचर्चा करते हुए कहा, ‘हम अपने अनुवांशिक जीन, शरीर नहीं है अपितु हम अपने पर्यावरण के निर्माता है । हम अपने विचारों के माध्यम से ऊर्जा के संघवाहक है इस प्रकार जिस संसार में हम रहते है उसका निर्माण हमारे विचारों से hi होता है । हमें एक साथ मिलकर शांति और प्रेम की प्रगाढ़ता के विषय में सोचना चाहिए । योग महोत्सव संसार के उपचार का केंद्र है । यह अंतःकरण के विकास का स्रोत्र है जिससे मानवता की रक्षा होगी । उसके पश्चात् उन्होंने विज्ञान एवं आध्यात्मिकता के बिच सेतु कैसे निर्मित किया गया । न्यूयार्क के विश्व विख्यात योगाचार्य जूल्स फेबर द्वारा जीवनमुक्ति योग का, पदम श्री भारत भूषण द्वारा भारत योग का तथा अमेरिका की योगाचार्य लौर प्लंब द्वारा रांफ भक्ति का अभ्यास कराया गया । अमेरिका की  योगाचार्य किया मिलर ने कहा, ‘मैं चाहती हूँ कि लोग अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की ओर आकर्षित हों क्योंकि यहाँ पर प्राचीन पारंपरिक योग विद्या का सारगर्भित ज्ञान प्राप्त होता है । मेरे लिए तो यह उत्सव व महोत्सव से भी बढ़ कर है । यहाँ पर वैशिवक समुदायरूपी घर में आने के सामान है; उन लोगों के मध्य आने के सामान है जो योग से प्रेम करते हैं ।’

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशिका साध्वी भगवती सरस्वती एवं ब्रूस लिप्टन के साथ मिलकर सभी योगियों ने प्रकृति संरक्षण, पृथ्वी संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण एवं जल संरक्षण का संकल्प लिया तथा समस्त योगियों ने मानवता की सेवा का भी संकल्प लिया गया ।

दोपहर के पश्चात् की कक्षाओं में मूलतः ऋषिकेश के चीन निवासी योगाचार्य मोहन भण्डारी द्वारा कुल्हा एवं कन्धा के उचित निष्पादन की कक्षा सम्पन्न की गई ।

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने योगियों को दिए सन्देश में कहा ‘योग महज धर्म और आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है । यह विज्ञानपरक होता है । यह कल्याण का विज्ञानं है; यह युवा अवस्था की चिर प्रफुल्लता का विज्ञानं है; तन, मन और आत्मा के संकलन का विज्ञानं है । इस अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग का व्याकरण सिखाया जाता है ताकि आप जीवन का महाकाव्य स्वयं लिख सकें ।’

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशिका साध्वी भगवती सरस्वती जी ने जीवन जीने की कला के बारे में समझते हुए कहा कि ‘प्रत्येक विपरीक स्थिति हमें जीवन के नए आयाम सिखाती है । उससे में भी एक मधुर गीत होता है । हमें गीतों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि परिस्थितियां अनुकूल या प्रतिकूल नहीं होती बल्कि उनके प्रति हमारा नजरिया सकारात्मक या नकारात्मक बन जाता है । अतः ध्यान के अभ्यास से ही जीवन के हर क्षण में  सकारात्मकता का समावेश होता है । हम अपनी समस्याओं के लिए दुनिया को दोषी मानते है; हम सोचते है कि हमारे पास ये होता या आ होता तो हम प्रसन्न होते किन्तु प्रसन्नता, आनंद और शांति का वास्तविक स्रोत तो हमारे अंदर ही है । अंतःकरण से जुड़ना ही आनंद की वास्तविक कुंजी है ।’

आज की पवन गंगा आरती में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज, स्वामी नारायण गुरुकुल विद्यापीठ के पूज्य संत माधवप्रियदास जी एवं पूज्य प्रेम बाबा जी का पवन सानिध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त हुआ । पूज्य स्वामी जी ने अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग कर रहे न्यूयॉर्क के विश्व विख्यात योगाचार्य जूल्स फेबर और हवाई दिप अमेरिका से आई संगीतज्ञ अनंदर जॉर्ज को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया गया । पूज्य स्वामी जी ने परमार्थ परिवार के सेवक उर्मिला एवं रूचि को उनकी विशिष्ठ सेवा  के लिए सम्मानित किया गया ।

आज रात्रिकालीन कार्यक्रम में ‘मिल्टन के रहस्य’ नामकfilm दिखाई जायेगी जो ‘एकर्ट टोल’ की पुस्तक पर आधारित है । मिल्टन एक 12 वर्ष का बालक है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से अकल्पनीय दुनिया में पल-बढ़ रहा है । जब उसके दादा उससे मिलने आते है तो मिल्टन अतीत के चिंतन और भविष्य की चिंता में डूबा रहता है जिसकी वजह से उसे जीवन के आनंद का अनुभव नहीं पता ।

 

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